
नीमच टुडे न्यूज | जीरन के सामुदायिक भवन परिसर में श्री श्याम मित्र मंडल के तत्वावधान में जन सहयोग से प्रतिदिन संगीतमय श्री राम कथा ज्ञान गंगा नौ दिवसीय महोत्सव कथा मर्मज्ञ व प्रवक्ता दीदी पूज्या लक्ष्मी प्रिया जी पांडे अयोध्या के मुखारविंद से भक्ति रस का प्रवाह प्रवाहित किया जा रहा है । सोमवार को धर्म पंडाल में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को ज्ञान गंगा का रसास्वादन करते हुए कहा कि दुनिया के घर-घर में बैठे जन-जन के श्री राम को रानी कैकई ने जन्म दिया और अयोध्या के श्री राम को रानी कौशल्या ने जन्म दिया। कैकई अगर राम का वनवास नहीं मांगती तो दुनिया में घर-घर, जन-जन में आज श्री राम पूजे नहीं जाते।कैकई के राजा दशरथ से श्री राम को 14 वर्ष का वनवास मांगा। श्री राम 14 वर्ष का वनवास खत्म करके आएं तो पुरे ब्रह्माण्ड के श्री राम बनकर आए। अगर वनवास नहीं जाते तो राम सिर्फ अयोध्या के राम ही बनकर रह जाते।
उक्त वाणी कथा मर्मज्ञ वह प्रवक्ता दीदी पूजा लक्ष्मी प्रिया जी पांडे अयोध्या ने जीरन में आयोजित नौ दिवसीय श्री राम कथा ज्ञान गंगा महोत्सव के सातवें दिन सोमवार को धर्म ज्ञान गंगा का रसास्वादन करवाते हुए कहा कि कभी भी किसी व्यक्ति का किसी वस्तु से आशक्त नहीं होना चाहिए। कोई किसी को दुःख या सुख नहीं पहुंचा सकता है, इंसान को स्वयं का कर्म अपने जीवन को दुःखी करता है। भगवान कभी किसी को दुःख नहीं पहुंचाते हैं। इंसान को अच्छी संगति का असर धीरे-धीरे चढ़ता है ,और कुसंगति का असर जल्दी चढ़ जाता है।
अयोध्या के राजा दशरथ मरण प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्री राम जी के वनवास जाने के बाद राजा दशरथ का राम जी के वियोग में प्राण गए थे। श्री राम कथा के दौरान एक साधारण प्रवक्ता लक्ष्मी प्रिया जी पांडे जो मीठे स्वर भाषा के बिना न तो अपनी बात पूरी कर पाती है ,न अध्यात्म का ज्ञान बाटती है। वह अचानक ही वेद के उपनिषद के गीत और श्री राम कथा की चौपाइयों को बोलती हुई अचानक ही बीच-बीच में बिना लाग लपेट के हजारों श्रद्धालुओं के सामने ऐसी सच्चाई बोलती है कि धर्म का विरोध करने वाले एवं बूरे कार्यो में लिप्त की नज़रे नीचे हो जाती हैं और वे अपने मन में सत्य ईमानदारी खोजने में मजबूर हो जाते हैं। रामचरितमानस की चौपाइयों पर संक्षिप्त विवरण भगवान श्री राम, केवट, निषाद राज, रानी कैकई, दासी मंथरा,राजा दशरथ,रानी कौशल्या, रानी सुमित्रा, मंत्री सुमंत, वाल्मीकि , मुनि भारद्वाज के प्रसंग चित्रण का वर्णन बड़े ही मार्मिक ढंग से किया गया है। प्रतिदिन कथा प्रवचन सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक प्रवाहित किए जा रहे हैं।