नीमच टूडे के खास कार्यक्रम “सुबह सबेरे” में आपसे रूबरू हो रहे हैं नीमच के वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र। सुरेंद्र सेठी एक ऐसा नाम हैं जिन्होंन पत्रकारिता के शीर्ष तक पहुंचे। नीमच से छोटे शहर से निकलकर उन्होंने जहां बेबाक पत्रकारिता की वहीं राजनीति भी खुलकर की। न किसी से डरे और न ही किसी के सामने झूके।
नीमच टूडे न्यूज | बात उस दौर की जब पत्रकारिता करना बड़ी चुनौती था, मैं छोटै से शहर का पत्रकार मप्रश्रमजीवी पत्रकार संघ का प्रदेशाध्यक्ष उपाध्यक्ष बना। शपथ ग्रहण समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा आए मुझे देखकर खुश हुए और बाद में वे ही मेरी पत्रकारिता की दुश्मन बन गए। कुकड़ेश्वर की मसजिद के विवाद को लेकर उन्होंने मुझे नई दुनिया से हटवाया और पीटीआई से हटवाया। राजनीति में आया तो कांग्रेस जिलाध्यक्ष बना। मेरे नेतृत्व में 30 बाद कांग्रेस ने संसदीय क्षेत्र में परचम लहराया। मीनाक्षी नटराजन सांसद चुनी गई, कई नगर पंचायतों में हमारे अध्यक्ष बने। नटराजन ने इस जीत का बदला ऐसा लिया मेरे खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए और नटराजन ने एसपी को फोन कर मुझे जेल भिजवाया। पत्रकारिता बेबाकी से की। न किसी न डरा और न ही सिंद्धातों के साथ समझौता किया। राजनीति में आया तो राजनीति खुलकर की। कांग्रेस जिलाध्यक्ष होने के बाद भी अपनी सांसद के खिलाफ बोलना पड़ा तो खुलकर बोला। महाराज के साथ भाजपा में गया तो भाजपा जिलाध्यक्ष के खिलाफ बोलना पड़ा तो खुलकर बोला। अब मुझे कुछ नहीं करना, न राजनीति करनी है और न पत्रकारिता। 65 साल की उम्र हो गई, सबकुछ देख चुका हूं और सबको जान चुका हूं। अपनी बात बेबाकी से रखता हूं और रखता रहूंगा।
बालकवि बैरागी ने बोए मेरी राह में कांटे--
सुरेंद्र सेठी ने कहा बालकवि बैरागी की जगह नीमच से मुझे विधानसभा का टिकट मिल रहा था। मैंने दादा बैरागी का नाम आगे बढ़ाया, खूब सेवा की लेकिन उन्होंने ही मेरी राजनीति में कांटे बोए और मुझे राजनीति में आगे बढ़ने से रोका।
घनश्याम पाटीदार विधायक टिकट दिलाया वहीं विरोधी बना
सेठी कहते हैं कि जावद घनश्याम पाटीदार को टिकट दिलाने में दिग्विजय सिंह के पास मैं ले गया। दिग्विजय सिंह के साथ लंबा कार्य किया, दिग्गी राजा हर बात मानते थे। घनश्याम पाटीदार विधायक बने और फिर मंत्री बने तो मेरे ही विरोध हो गए।
राजा-महाराजा दोनों के रहे खास
सुरेंद्र सेठी मप्र की राजनीति में राजा और महाराजा दोनों के खास रहे। कांग्रेस में रहे तो राजा दिग्विजय सिहं के खास रहे और भाजपा में रहे तो महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया के भी खास रहे और महाराज के साथ भाजपा में चले गए।
नीमच टूडे के सवाल- सुरेंद्र सेठी के जवाब
सवाल- हर नेता से आपका झगड़ा है.. ऐसा क्यों
जवाब- सच बोलता खरा बोलता हूं, उन्हें बुरा लगता है।
सवाल- अब पत्रकारिता क्या है..
जवाब- काम के बदले अनाज योजना।
सवाल- राजनीति दुश्मन कौन- पवन पाटीदार, अनिल चौरसिया या नंदकिशोर पटेल
जवाब- कोई नहीं, अनिल चौरसिया को राजीनीति में मैं लाया, पवन के पिता के साथ काम किया, नंदू पटेल से सीधे-सादे शरीफ आदमी है।
सवाल- कौन विधायक श्रेष्ठ, नंदकिशोर पटेल, डॉ. संपत्त जाजू या दिलीप सिंह परिहार।
जवाब- सिर्फ दिलीप सिंह परिहार, लो प्रोफाइल विधायक।
सवाल- सक्रिय सांसद कौन रहे, बालकवि बैरागी, डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे, मीनाक्षी नटराजन, सुधीर गुप्ता
जवाब- पहले बालकवि बैरागी और अब सुधीर गुप्ता। सुधीर गुप्ता बेहद सक्रिय सांसद हैं।
सवाल- कांग्रेस छोड़् दी, भाजपा से बर्खास्त कर दिए, अब क्या भविष्य
जवाब- अब आराम, कहीं जाना, 65 साल हो गया हूं अब रिटायरमेंट जिंदगी जीना है।