लोकगीतों और लोकवाद्यों के जरिए ही हमारी सभ्यता व संस्कृति का संरक्षण हो सकता है

नीमच टूडे न्यूज़ । मालवा की समृद्ध संस्कृति के संरक्षण में लोक संगीत एवं लोक गायकी की विषेष भूमिका है। लोकगीतों के जरिए ही हमारी सभ्यता व संस्कृति का संरक्षण हो सकता है। लोकगीतों में लोकजीवन की अनंतता के दर्षन होते हैं। आर्थिक स्वावलम्बन के युग में मालवी लोक संगीत का प्रचार प्रसार एवं भावी पीढियों के लिए इसे सहेजकर रखना हमारी जिम्मेदारी है।उक्त आषय के उद्गार विधायक दिलीपसिंह परिहार ने 30 अक्टूबर बुधवार को फोरजीरो चौराहे पर लोकगीत एवं निर्गुणी भजन गायक कमलनाथ का पुष्पहारों से स्वागत कर व्यक्त किए।

परिहार ने कहा कि वर्तमान समय में युवा पीढी लोकगीत, लोकगायक एवं लोक वाद्यों से दूर होती जा रही है, जो चिंतनीय है। इन सभी को प्रमुखता देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लोकल फॉर वोकल का मंत्र दिया है। लोक वाद्य तंदूरा हमारी संस्कृति में एक प्राचीन वाद्य यंत्र है। फोरजीरो चौराहे पर मंदसौर जिले की सुवासरा तहसील के गांव गुराडिया विजय निवासी लोक वाद्य कलाकार कमलनाथ ने लोकगीतों और निर्गुणी भजनों की सुर लहरियां बेखेरीं तो परिहार सहित उपस्थित सभी श्रोता मंत्रमुग्ध होकर झूम उठे। लोक कलाकार ने भगवान राम, बाबा रामदेव, मालवा मेवाड के इतिहास सहित अनेक गीत गाकर सभी का दिल जीत लिया।विधायक दिलीपसिंह परिहार ने लोक गायक कलाकार कमलनाथ का पुष्पमाला से स्वागत किया। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र सेठी, पूर्व नपाध्यक्ष अरविन्द चौपडा, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष हेमन्त हरित, अमरसिंह जयन्त, डॉ.सुरेन्द्र सोनी, जसवन्त रावत आदि उपस्थित थे।

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