ज्ञानोदय विश्वविद्यालय में बालकवि बैरागी का जन्मोत्सव मनाया | @NeemuchToday

नीमच टूडे न्यूज़ | प्रख्यात साहित्यकार एवं पूर्व सांसद बालकवि बैरागी राजनेता होने के साथ-साथ राष्ट्रीय चेतना के कवि थे। उक्त विचार डॉ.माधुरी चौरसिया ने आज बालकवि बैरागी महाविद्यालय में स्वर्गीय बालकवि बैरागी जी के 94 वे जन्मोत्सव पर विचार व्यक्त किए उन्होंने कहा कि बैरागी जी ने संघर्षरत रहते हुए निरंतर साहित्य साधना के वे कुशल राजनेता भी थे तथा उन्होंने समाज सेवा में भी सक्रिय भूमिका अदा करते हुए मंत्री पद तक सुशोभित किया डॉ.माधुरी चौरसिया ने आगे कहां स्व.बालकवि बैरागी जी की कविताएं निराशा में आशा का संचार करती है और संघर्ष करने के लिए प्रेरित करती है  दीपक और सूर्य दादा की पसंदीदा पात्र रहे जिनका जिक्र उनकी सैकड़ों रचनाओं में किया गया,दादा बालकवि बैरागी के लिए शिवमंगल सिंह सुमन ने एक बार कहा बैरागी जी के एक फेफड़े में शंख है और दूसरे फेफड़े में बांसुरी हैं एक ओर दादा ओज के कवि थे दूसरी ओर अपनी मीठी कविताओं के माध्यम से सबके दिल में सुकून पहुंचा दिया करते थे।

इस अवसर पर ज्ञानोदय संस्था के अध्यक्ष अनिल चौरसिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि बालकवि बैरागी दो बार विधायक,एक बार सांसद और एक बार राज्यसभा सदस्य रहे। उनका जन्म 10 फरवरी 1931 को रामपुरा गांव में द्वारिकादास बैरागी एवं धापूबाई बैरागी के घर हुआ। वे सहज,कुशल एवं प्रेम भाव वाले व्यक्ति रहे। इस अवसर पर ज्ञानोदय विश्वविद्यालय के रजिस्टार प्रो.हेमंत प्रजापति ने उनकी बहुत प्यारी कविता का वाचन किया है करोड़ सूर्य लेकिन सूर्य है बस नाम के जो न दे हमको उजाला वे भला किस काम के ? जो रात भर लड़ता रहे उसे दीप को दीजे दुआ सूर्य से वह श्रेष्ठ हैं  तुच्छ है तो क्या हुआ ? वक्त आने पर मिला ले हाथ जो अंधियारे से संबंध उनका कुछ नहीं है सूर्य के परिवार से । बालकवि बैरागी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.सुरेंद्र शक्तावत ने कहा कि बैरागी जी मालवीय एवं हिंदी के प्रख्यात कवि रहे उसके साथ कुशल राजनेता के रूप में उन्होंने पहचान बनाई। तू चंदा मैं चांदनी जैसे गीत लिखने वाले बैरागी जी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्र उन्होंने विश्व हिंदी सम्मेलन में भी शिरकत की।


ज्ञानोदय महाविद्यालय की उपप्राचार्य डॉ.विनीत डावर ने कहा कि नीमच को बालकवि जी के नाम से जाना जाता है बालकवि बैरागी जी का व्यक्तित्व युवाओं के लिए प्रेरणा दाई है उन्होंने जीवन में कभी समझौता नहीं किया तथा मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए निरंतर संघर्षरत रहे बैरागी जी का साहित्य प्रकाश में आना चाहिए तथा युवा अधिक से अधिक पढ़कर उनके आचरण को अपने जीवन में अपनाये | इस अवसर पर आईटीआई के प्राचार्य एच.एस.राठौर,समस्त विभागध्यक्ष,समस्त प्राध्यापक एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ.विनीता डावर ने किया । अंत में आभार प्रकट प्रभारी प्राचार्य प्रो.सुरेंद्र पांडे ने किया | उक्त जानकारी प्रो.अनूप चौधरी ने दी |

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