एड्स रोग से डरे नहीं, उपचार ही बचाव है- डॉ लाड धाकड़, जनशोर्य की अनुठी पहल बांछड़ा समुदाय में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम | @NeemuchToday

नीमच टुडे न्यूज़ | महिला और पुरुष दोनों को ही अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए। समय-समय पर जिला चिकित्सालय में अपने स्वास्थ्य का नियमित परीक्षण करवाना चाहिए। बीमारी हो तो सामने आ सके और उसका उपचार किया जा सके। एड्स रोगी से घृणा नहीं करना चाहिए उससे समन्वय के साथ समाज के बीच सम्मान के साथ जीवन जीने देना चाहिए। एड्स रोग एक दूसरे के छूने से नहीं फैलता है यह रोग इंजेक्शन की सुई से या रोगी मां द्वारा बच्चों को दूध पिलाने से या शारीरिक संबंध बनाने से फैल सकता है इसके बचाव के लिए शारीरिक संबंध बनाते समय कंडोम का उपयोग करना चाहिए।एड्स रोग से डरना नहीं चाहिए सावधानी और उपचार ही बचाव होता है। जिला चिकित्सालय की महिला प्रसूति विभाग की डॉक्टर लाड़ धाकड़ ने कहीं ।वे जान शौर्य सोशल वेलफेयर एंड डेवलपमेंट सोसाइटी नीमच एवं जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा शासकीय प्राथमिक विद्यालय जेतपुरा में बांछड़ा समुदाय के बीच आयोजित स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थी।

 

उन्होंने कहा कि पति-पत्नी दोनों की जांच होती है। रोगी की पहचान गुप्त रखी जाती है। बीमारी का इलाज संभव है। डरना नहीं चाहिए ।नवजात शिशु को दवाई दे तो वह भी नेगेटिव हो जाता है। गलत रक्त चढ़ाने से भी यह बीमारी फैलती है इसलिए रक्त चढ़ाने से पूर्व दोनों का रक्त जिला चिकित्सालय में जांच करवाना चाहिए। कोई रोगी यदि कमजोर हो जाता है तो सरकार द्वारा उसे पोषण की सहायता भी प्रदान की जाती है। बीमारी से डरना नहीं चाहिए। मरीज का चिकित्सालय में चिकित्सकों के माध्यम से शीघ्र उपचार करवाना चाहिए ।उपचार ही बचाव होता है। बाल चिकित्सक डॉक्टर योगेंद्र धाकड़ ने कहा कि नवजात शिशु को जन्म देने वाली माता यदि रोगी हो तो भी उसे मां का दूध पिलाये लेकिन दवाइयां का उपयोग करें चिकित्सक के संपर्क में रहे तो बच्चा भी स्वस्थ हो सकता है और मां भी स्वस्थ हो सकती है। बच्चे के लिए मां का दूध सबसे अधिक शक्तिशाली होता है और 6 माह तक निरंतर मां का दूध अवश्य पिलाना चाहिए तभी बच्चा स्वस्थ रह सकता है।  

 

एचआईवी पॉजिटिव रोगी यदि अपना गुप्त रूप से इलाज करवाना चाहे तो भी सरकार उपलब्ध कराती है । रोगी को हिन भावना का शिकार नहीं होना पड़े। कई बार रोगी मानसिक रूप से प्रताडित होने पर आत्महत्या जैसे  कदम भी उठाने को मजबूर हो जाता है।  किसी भी रोगी को हीन भावना से ग्रसित नहीं होना पड़े इसके लिए ही यह जागरूकता कार्यक्रम मिल का पत्थर साबित होगा।अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 15100 पर संपर्क कर उचित मार्गदर्शन एवं सहायता प्राप्त कर सकते है। जिला विधिक अधिकारी हर्षित बिसेन ने कहा कि कानून में शिक्षा स्वास्थ्य का अधिकार सभी को होता है इसीलिए किसी भी प्रकार की आपराधीक घटना होने के बाद घबराएं नहीं और विधिक सहायता के माध्यम से न्याय प्राप्त किया जा सकता है। सरकार द्वारा  आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए सरकार विधिक सहायता के रूप में निःशुल्क अधिवक्ता भी उपलब्ध कराती है कोई भी पिछडा समाज का व्यक्ति हो जिसे न्याय चाहिए वह विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकारी होता है। एड्स जैसी बीमारी को गुप्त रखने का कानूनी प्रावधान है इसे सार्वजनिक नहीं किया जाता है यदि महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा या कोई अत्याचार होता है तो वह सामान्य आवेदन देखकर निःशुल्क अधिवक्ता या विधिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं। महिला पीड़िता यदि बेरोजगार है तो उसे अंतरिम विधिक सहायता भी मिलती है। विधिक सहायता की टोल फ्री नंबर 1097 हेल्पलाइन है जिस पर फोन कर शीघ्र सहायता और मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता है।

इस अवसर पर लर्निंग शिक्षण कोचिंग प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को , पुस्तक, पेंसिल कंपास कलर स्केच पेन, मोम कलर, पुस्तक, कॉपी आदि  शिक्षण सामग्री का किट प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बच्चों ने एड्स पर आधारित विभिन्न विषयों पर रंगोली बनाकर अपनी कला की अभिव्यक्ति प्रस्तुत की। इस अवसर पर प्राथमिक विद्यालय जेतपुरा के प्रधानाध्यापक प्राथमिक शिक्षक महेंद्र सिंह राठौड़ , जनपद पंचायत के सहायक विकास विस्तार अधिकारी नवनीत धाकड़, जिला समन्वयक श्याम मालवीय,  कार्यकर्ता हनी, रमेश चंद्रावत ,अविनाश चौहान, प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर देवकन्या मालवीय सहित अनेक लोग उपस्थित थे | कार्यक्रम का संचालन आकाश चौहान ने किया तथा आभार विनोद जावेरिया ने व्यक्त किया।

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