नीमच टूडे न्यूज़ । श्री श्याम मित्र मंडल जीरन द्वारा मांगलिक भवन में आयोजित नौ दिवसीय श्री राम कथा महोत्सव ज्ञान गंगा में प्रतिदिन कथा मर्मज्ञ व प्रवक्ता पूज्या लक्ष्मी प्रिया जी पांडे अयोध्या के मुखारविंद से भक्ति रस का प्रवाह किया जा रहा है। रविवार को धर्म पंडाल में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को श्री राम - विवाह प्रसंग का रसास्वादन करते हुए कहा है कि जनकनंदिनी माता जानकी भक्ति का रुप है। पत्नी वही है जो पति के दुःख को कहने से पूर्व समझ जाए। जिस परिवार में बेटी हैं वो परिवार धनवान हैं।
उक्त वाणी कथा मर्मज्ञ व प्रवक्ता पूज्या लक्ष्मी प्रिया जी पांडे अयोध्या ने नौ दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव ज्ञान गंगा प्रवचन के छठवें दिन रविवार को धर्म पंडाल में अपने मुखारविंद से श्रद्धालुओं को प्रवाहित करते हुए कही। कहा कि जीवन में दो अभिमान तो हर व्यक्ति को करने चाहिए। पहला अभिमान ज्ञानी गुरु के प्रति और दूसरा हमारे इष्ट देव भगवान पर होना चाहिए। दीदी लक्ष्मी प्रिया जी पांडे ने श्री राम और जानकी विवाह प्रसंग सुनाते हुए कहा कि दहेज का विरोध नहीं करना चाहिए। विरोध तो उसका करना चाहिए जो दहेज में वर पक्ष की ओर से मुंह खोल कर मांगता है। उसका दहेज दहेज तो त्रैतायुग पूर्व से ही चला आ रहा है माता सीता जी के विवाह में भी एक लाख घोड़े,25 लाख रथ जैसी कई चीजें दहेज में दी थी।
बेटा और बेटीयों का विवाह माता-पिता,गुरु और पूरे परिवार की आज्ञा हो तो ही करना चाहिए। यह श्रेष्ठ ब्रह्म विवाह है।आज कल तो देन विवाह जिसमें धन देकर विवाह किया जाता है।आर्श विवाह इसमें वर पक्ष द्वारा वधू पक्ष से धन देकर विवाह किया जाता है।आसूर विवाह इसमें मार-काट झगड़ फसाद करके, गंधर्व विवाह इसमें आज के इस दौर में लव-मैरिज कहा जाता है।, राक्षस विवाह इसमें परिवार और बेटी नहीं चाहते वर पक्ष जबरन शादी ब्याह करते हैं।, सभी विवाहों में सबसे श्रेष्ठ ब्रह्म विवाह श्रेष्ठ है। कहा कि विवाह मंडप में गोमाता के गोबर और गौ मूत्र से लिपकर पवित्र मंडप में होना चाहिए। राजा दशरथ,राजा जनक, श्री राम,भरत, लक्ष्मण, और शत्रुघ्न, गुरु वशिष्ठ, विश्वामित्र, रानी कौशल्या, रानी सुमित्रा, रानी कैकई आदि प्रसंगों पर संक्षिप्त विवरण सुनाया। प्रतिदिन कथा प्रवचन सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक कथा प्रवक्ता पूज्या लक्ष्मी प्रिया जी पांडे के मुखारविंद से प्रवाहित की जा रही है। क्षेत्र के समस्त धर्मप्रेमियों से अनुरोध है कि अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर धर्म लाभ लें।