नीमच टुडे न्यूज़ | परमात्मा भाव के भूखे होते हैं धन संपत्ति के नहीं, 84 लाख योनि के बाद मानव जन्म मिला है जब भी समय मिले तो परमात्मा की पूजा भक्ति तपस्या करनी चाहिए इसका फल कभी निष्फल नहीं जाता है यह जीवन में संकट के समय काम आता है। संकट के समय सच्चे मन से यदि भक्त परमात्मा को पुकारता हैं तो वह दौड़े चले आते हैं और संकट से बचा लेते हैं। मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। भक्त प्रहलाद की कथा का उदाहरण हमारे सामने है। यह बात भागवत आचार्य पंडित नरेन्द्र नागदा ने कही। वे नीमच जिले के छोटे से ग्राम बिसलवास खुर्द निवासी उमाशंकर कमला नागदा के पुत्र गुणवंत नागदा मेनारिया के सेवानिवृत्ति कार्यक्रमों की पावन उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद भागवत कथा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान भक्त के अधीन होते हैं जो भक्तों की सेवा करता है भगवान उसकी संकट के समय रक्षा करते हैं। जब मनुष्य संसार में संघर्ष कर हार जाता है तो परमात्मा की शरण में परमात्मा उसकी रक्षा करते हैं।
जिस प्रकार सरोवर में हाथी का मगरमच्छ पांव पकड़ लेता है तब गजेंद्र अपने परिवार जनों को बुलाता है तो वे नहीं आते है तब वह कहता है प्रभु बचाओ तब परमात्मा उसकी रक्षा करते हैं। हम जैसी करनी करते है वैसा ही है फल मिलता है इसलिए हमें अच्छे पुण्य कर्म करना चाहिए ताकि हमारा पुण्य मजबूत हो सके और संकट के समय हमारी रक्षा हो सके। एक समय में एक ही निर्णय लेने वाला व्यक्ति सफल होता है बार-बार निर्णय बदलने वाला व्यक्ति जीवन में कभी सफल नहीं होता है।लाभ खेती व व्यवसाय में नहीं हमारे पुण्य कर्मों से होता है और नुकसान हमारे पाप कर्मों से होता है। खेत में फसल करते समय किसान सर्दी गर्मी बारिश में पुण्य के लिए संघर्ष करने से उसे लाभ मिलता है ।गौसेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं होता है। मातृ शक्ति को घर परिवार का पालन करना चाहिए। जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ते हैं तो परमात्मा अवतार लेते हैं। परिवार की भौतिक सुविधाओं को बढ़ाने के लिए लालच में आकर अनैतिक भ्रष्टाचार और चोरी के करने से भी पिछे नहीं हटता है।
समाज में रहना है तो एक दूसरे के सुख-दुख में सहभागी बनना चाहिए। मनुष्य को सदैव अच्छी संगत में रहना चाहिए जैसी संगत करेंगे वैसा ही हमारे जीवन पर प्रभाव होगा। संसार से हताश होते हैं तो देवता की शरण में जाते हैं और देवता हताश होते हैं तो गुरु की शरण में जाना चाहिए। तभी हमारे जीवन का कल्याण हो सकता है।ईश्वर का भजन ही अमृत है। हजारों वर्षों की तपस्या के बाद राजा भगीरथ गंगा नदी को धरती पर लाए। मानव का पवित्र भाव गंगा होती है। एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के पूर्वजों को नरक गति नहीं मिलती है। छोटा सा अभिमान इंसान के सारे पुण्य कर्म को नष्ट कर देता है। मृत्यु शाश्वत सत्य है। ब्राह्मण पुरे संसार की भलाई के लिए कर्म करता है।
ये थे धार्मिक प्रसंग......
श्रीमद्भागवत कथा में पंडित नरेंद्र नागदा ने मोहिनी अवतार, समुद्र मंथन, लक्ष्मी, रम्भा,, कल्पवृक्ष,एरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, पारिजात वृक्ष, हर श्रृंगार वृक्ष, वरमाला, धनवंतरी अवतार,सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र,राजा बलि, अश्वत्थामा, हनुमानजी, राजा भागीरथ,काशी विश्वनाथ,श्री कृष्ण जन्म, त्रिकुट पर्वत, नरसिंह मेहता,नानी बाई रो मायरो कथा, द्वारिका ,राधा श्री कृष्णा खाती,मीराबाई की भक्ति,दक्ष राजा बलि आदि धार्मिक विषयों के वर्तमान परिपेक्ष के महत्व पर प्रकाश डाला। श्रीमद् भागवत कथा का सीधा प्रसारण सत्संग चिंतन युटुब पर किया जा रहा है।श्रीमद् भागवत कथा पोथी पूजन आरती में निम्बाहेडा के सेवानिवृत्ति प्रधानाचार्य व भारत विकास परिषद निंबाहेड़ा के अध्यक्ष मांगीलाल मेनारिया, जल सेवक दशरथ मेनारिया, रमेश चंद्र नागदा घसुंडी, मुरली नागदा कानाखेडा, भाजपा जिला महामंत्री ममता नागदा, सुगनाबाई नागदा, सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
कृष्ण जन्म में झुमें श्रद्धालु भक्त
श्रीमद् भागवत कथा में पंडित नरेंद्र देव नागदा ने जब श्री कृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाया तो भक्ति पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों द्वारा आपकी की पालकी जय कन्हैया लाल की जय जय जय श्री कृष्णा की जय घोष लगी.. पुष्प वर्षा कर जय जय श्री कृष्णा की जय घोष लगाई।बाल कृष्ण के रूप में नन्हे बालक विहान सुनीता पवन नागदा को फुलों से श्रृंगारित किया। वसुदेव तीर्थराज राजगुरु, यशोदा सुगना बाई, नंदबाबा गुणवंत नागदा राजगुरु, ने अभिनय प्रस्तुत किया।
भक्ति पंडाल को गुब्बारा से सजाया गया।
कथा में आज .......
श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में आज गुरुवार को गिरिराज पर्वत पुजा, माखन लीला ब्रिज की रासलीला जैसे विभिन्न धार्मिक विषयों के महत्व पर प्रकाश डाला जाएगा।कार्यक्रम की पावन श्रृंखला में आचार्य नरेंद्र देव नागदा के श्री मुख से श्रीमद्भागवत ज्ञान गंगा प्रतिदिन 4 मई से 10मई तक प्रतिदिन सुबह 11 से 4 बजें तक प्रवाहित होगी।