शातिर तीनों देवर और जेठ ने मिलकर पति के हिस्से की 23 बीघा जमीन बेच दी, 105 वर्षीय वयोवृद्ध हरिजन विधवा महिला न्याय की आस लेकर खा रही दर - दर की ढोकरे, पढ़े भगत मागरिया की रिपोर्ट | @NeemuchToday

नीमच टुडे न्यूज़। शातिर तीन देवर और एक जेठ ने मिलकर पति के निरक्षर होने का फायदा उठाते हुए उनके हिस्से की अलग-अलग 23 बीघे की पुस्तैनी पट्टे की जमीन को शडयंत्र एवं कपट पूर्वक जालसाजी से अन्य लोगों को बेचकर रजिस्ट्री करवाकर उड़ा रहे हैं घुलछर्रे। 105 वर्षीय वयोवृद्ध विधवा महिला अपने पति के हिस्से की जमीन की रजिस्ट्री स्थगित करवाने एवं शातिर देवरों और जेठ के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई तथा  न्यायालय तहसीलदार तहसील जीरन के प्रकरण क्रमांक 28/अ-6/2013-14,0838/ अ -6 /2022-23,1205/ अ -6/2022-23 एवं 133/ अ -6 2015-16 तथा ना.पं.क्रं.14/2013-14 में पारित आदेश निरस्त किए जाने हेतु विगत 12 वर्षों से अधिकारियों से न्याय की गुहार लगा रही है। उल्लेखनीय है कि चीताखेड़ा के ही निवासी 105 वर्षीय वयोवृद्ध विधवा महिला भागू बाई के पति स्वर्गीय गोबरु मेघवाल जो कि अनपढ़ (निरक्षर) होने के कारण जेठ चंपालाल और देवर हुकमीचंद, बगदी राम और छगनलाल , चंपालाल के पुत्र सुरज मल, बंशीलाल मेघवाल ने मिलकर कपट एवं शडयंत्र पूर्वक जालसाजी रचकर वर्णित सर्वे क्रमांक की भूमि को संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति होना बताकर सिविल न्यायालय के समक्ष उक्त वर्णित भूमि के संबंध में वास्तविक सत्यता को छुपाकर वर्ष 2008 में एक सिविल वाद पेश किया और प्रार्थी को धोखे में रखकर उक्त भूमि के संबंध में भूमि संयुक्त हिंदू परिवार की होना लैख कर प्रार्थी के पति की जानकारी के बिना न्यायालय के समक्ष राजीनामा वर्ष 2010 में करवा लिया जिसकी जानकारी स्वर्गीय गोबरु जी को अपने निरक्षर होने से नहीं रही थी।

 

उक्त भूमिका सिविल न्यायालय के समक्ष राजीनामा करवाए जाने के बाद राजस्व न्यायालय के समक्ष उक्त भूमि में सिविल न्यायालय के मिलने के आधार पर राजस्व अभिलेखों में प्रकरण क्रमांक 28 / अ -06/2013-14 आदेश दिनांक 21 अक्टूबर 2014 से अपना नाम दर्ज करवा लिया, जबकि उक्त भूमि पट्टे पर मिली भूमि के नाते बिना समक्ष अधिकारी के आदेश के बिना उक्त वर्णित सर्वे क्रमांक की भूमि में किसी भी व्यक्ति का नाम जोड़ा जाना और कम नहीं किया जा सकता है , फिर भी शासन से प्राप्त भूमि में अपना नाम धोखे एवं कपट पूर्वक दर्ज करवा लिया गया है। अलग-अलग गांव हल्का गमेरपुरा,कास्वी और भडकसनादा में पुस्तैनी पट्टे की उपजाऊ भूमि को बिना किसी वैध स्वत्व और अधिकार के अन्य व्यक्तियों को विक्रय कर दी। वर्ष 1960 में गोबरु व चंपा पिता उदा मेघवाल को 9 बीघा 17 बिस्वा का शासकीय पट्टा प्रदाय किया गया था, जिसमें वर्ष 2013-14 में उक्त खातेदारों के तीन अन्य भाई छगनलाल, हुक्मीचंद व बगदी राम का नाम जोड़ा जाकर बंटवारा किया गया।  तथा शामिल किए गए अन्य खातेदारों में से छगनलाल व हुक्मीचंद के द्वारा प्रथक -प्रथक 0.41 हेक्टेयर,0.41 हेक्टेयर भूमि विक्रय की गई। जिसके संबंध में 165(7)(ख) के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है भूमि शासकीय पेट्टे की रही है जिसमें बगैर सक्षम अधिकारी ना तो नाम कम किया जा सकता है और ना ही अन्य को खातेदार के रूप में सम्मिलित किया जा सकता है। 105 वर्षीय वयोवृद्ध विधवा महिला भागू बाई  मेघवाल- का कहना है कि मेरे तीनों देवर और जेठ ने जालसाजी पूर्वक मेरे पति के हिस्से की लगभग 23 बीघा जमीन बेच दी है अब मेरे पास एक इंच भी जमीन नहीं है।  

 

मैं मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करती आ रही हूं वर्षों से मैं न्याय की उम्मीद लेकर जिला कलेक्टर ,एसडीएम और तहसीलदार के चक्कर लगाकर में थक चुकी हूं। मेरे बेटे को भी इन्होने कई झूठे मुकदमों में फंसा दिया है।नारायण लाल मेघवाल- का कहना है कि अंतमति जहर हो गया है। मेरे पिताजी के नाम से ग्राम कस्बी में 9 बीघा खेत, गमेरपुरा में 4 बीघा और भडकसनावदा में 10 बीघा खेत जो कि उपजाऊ भूमि थी सभी मेरे तीनों काकाओं में मिलकर बेच दिए अब मेरे पास एक इंच जमीन भी नहीं है । मैं मेरी 105 साल की मां की सेवा कर रहा हूं और मैं मजदूरी करके परिवार चल रहा हूं मेरे तीनों काकाओं ने मिलकर मुझे गांव से भगाने के लिए कई तरह के झूठे प्रकरण पुलिस थाने में बनवाकर मुझे जेल भिजवाया गया था मैं इस मामले में बहुत प्रताड़ित हो चुका हूं मुझे जहर खाने पर मजबूर कर दिया है। अंतमति जहर हो गया है।

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