मीराबाई के भक्ति भाव व विवाह प्रसंग सुन भाव विभोर हुए भक्त-श्री भक्तमाल कथा ज्ञान महोत्सव के छठे दिन हुआ मीराबाई के अदभुत चरित्र का वर्णन | @NeemuchToday

नीमच टूडे न्यूज़। शहर में सीएसवी अग्रोहा भवन में चल रही भक्तमाल कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के दौरान रविवार को छठे दिवस मीराबाई के अदभुत चरित्र का बहुत ही सुंदर वर्णन हुआ। इस दौरान मीरा के भक्ति प्रेम भाव व विवाह प्रसंग को सुन कई श्रद्धालु भी भाव विभोर हो गए। श्री अग्रेसन सोश्यल ग्रुप के तत्वावधन में वृंदावन के संत श्री गौरदास महाराज के मुखारविंद से भक्तमाल कथा का रसपान कराया जा रहा है। रोजाना दोपहर 12 से 4 बजे भक्त चरित्र को संगीतमय प्रस्तुति के साथ सुनाया जा रहा है। रविवार को कथा से पहले भक्तमाल ग्रंथ का पूजन अध्यक्ष आशीष मित्तल, सचिव आशीष गर्ग, कथा संयोजिका सपना गोयल, अनिल गोयल ने किया और गुरुदेव का मोतीमाला से स्वागत किया। तत्पश्चात ग्रुप परिवार के सदस्यों ने भी महाराज का दुपपटा पहना आशीर्वाद लिया। कथा प्रारंभ आरती महेश गोयल, सुरेश गोयल ओर सरिता घनश्याम गोयल परिवारजन ने की। तत्पश्चात स्वागत भाषण ग्रुप पूर्व अध्यक्ष व्यंकटेश  गर्ग ने दिया और संचालन डॉ कमल अग्रवाल ने किया।

इसके बाद कथावाचक संत गौरदास महाराज ने भक्त मीराबाई की विस्तार से भक्ति प्रेम कथा कही। उन्होंने कहा कि मीराबाई कृष्ण भगवान की परम भक्त थीं। वे दिन रात उनके ही भजन करती थी। मीरा की भक्ति जब शिखर पर पहुंची तो उनकी मां व बाबा सा ने मेवाड चित्तौडगढ के राजकुमार भोजराज के साथ विवाह तय कर दिया। लेकिन मीराबाई तो बचपन से ही श्रीकृष्ण को अपना पति मान चुकी थी इसलिए वह हमेंशा इंकार करती रही। जिसे मेडता आए राजकुमार भोजराज नें समझाया और पूर्वज व भगवान को साक्षी मानकर वचन दिया कि वे कभी पत्नी भाव से स्पर्श नहीं करेंगे। विवाह के पश्चात मेवाड में उनका भव्य स्वागत हुआ। वहां पर भगवान की पूजा अर्चना करने लगी। जीवन में कई परेशानियां आई लेकिन भजन कीर्तन नहीं छोड़ा। भोजराज को मीरा के भजन बहुत प्रसंद थे उन्होंने उसे लिपि बद्ध कराया है। इसलिए वे हमें सुनने को मिल रहे है। बाबर की सेना से युद्ध के दौरान भोजराज घायल हुए और कुछ दिन बाद उनकी भी मृत्यु हो गई। इससे पूर्व वे अपने भाई रतनसिंह को मीरा की रक्षा करने का वचन दे गए थे। क्योंकि उन्हें पता था कि मेरे निधन के बाद उसे परिवार के कुछ सदस्य कष्ट देंगे।

महापुरूष बलिदान नहीं देते तो ये हिन्दुस्तान नहीं होता-
कथावाचक ने कहा कि मीराबाई एक राजपुत परिवार से थी। उन्होंने मीरा के ताउजी के लडके भाई झेलम की वीरता का किस्सा सुनाया। जिसमें कहा कि ग्रंथ में वर्णन हैं कि झेलम अकबर से लडते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। जिसे कल्लाजी ने अपने कंधे पर संभाला। यानी इन महापुरुषों ने अपने बलिदान नही दिए होते तो ये हिंदुस्तान नही होता है। वर्तमान में नई पीढ़ी गुमराह हो रही है। उन्हें भारत का सत्य इतिहास नही बताया गया है। पूर्वजो ने बहुत कष्ट सहे, उन पर मुगलो ने अत्याचार किए। लेकिन वोट के भूखे नेताओ ने षडयंत्र करके हिन्दूओं को धर्म व जातियों में बांट दिया। भारत की शिक्षा व्यवस्था ऐसे लोगो के हाथ में दी जो विधर्मी थे। पाठयक्रम में झूठी बाते लिखी। जिस महापुरुषों ने अपने रक्त की एक बूंद भारत माता की सेवा में दे दी उनका तो पाठयक्रम में उल्लेख नहीं लिखा। 

बहु-बेटी पर बंधन पवित्रता के लिए होता है-
कन्या को स्वतंत्र रहने की अनुमति नही है। उसे मां-पिता या फिर पति का संरक्षण जरूरी है। आजदी व अश्लीलता में फर्क होता है। बहु-बेटी को बंधन नही पवित्रता लिए प्राचीन समय में पर्दे में रखने की परम्परा थी। परंतु पाश्चात्य संस्कृति में उसे गलत तरीके से फैलाया जा रहा है। पहले जिन कामो को पाप कहा जाता था उसे अब लिविंग कहते हैं । महान शुर वीरो को जन्म देना हैं इसलिए नारी की पवित्रता जरूरी है। 


भगवान की भक्ति बूरी नहीं होती-
संतश्री ने मीरा की भक्ति भाव का महत्व समझाते हुए कहा कि भगवान की भक्ति बुरी नही होती है। संतो की संगति से ही भक्ति मिलती है। भक्ति मार्ग में गुरु होना आवश्यक है। बिना गुरु के भगवान की भक्ति नही होती है। भक्त में आशक्ति हो जाए तो भगवान में मिलन हो जाता है। 

 

भजनों पर भाव विभोर उठे श्रद्धालु-

कथा के दौरान महाराज के मुख से मीरा के भजन जैसे मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई, जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई.....,माई रे मैं तो प्रेम दीवानी मेरो दर्द न जाने कोई....,गिरधरलाल प्रीत मत तोड़ो... जय चतुर्भुज नाथ दयाल जय सुंदर गोपाल आदि मीरा बाई की भाव को भजनों के माध्यम से भी बहुत ही सुंदर तरिके से प्रस्तुत किया। जिसे सुनकर कई श्रद्धालु भाव विभोर हो गए और उनकी आंखे आंसू से भर आई। 
 

कथा के बाद प्रदान की गुरू दीक्षा-
रविवार को कथा विश्राम के बाद संत गौरदास महाराज व्यास पीठ से उठकर भक्ति पांडाल में विराजे। इस दौरान उन्होंने शहर और आस पास के अंचलों से आए कई श्रद्धालुओं को गुरू दीक्षा प्रदान कर आशीर्वाद दिया। इस दौरान नीमच विप्रसंघ के प्रतिनिधि मंडल भी मिला और स्वागत सम्मान किया। 

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