नीमच टूडे न्यूज़। कन्या भ्रूण हत्या करना पाप होता है। कन्या भ्रूण हत्या नहीं करनी चाहिए इससे सदैव बचना चाहिए। बेटे और बेटी में अंतर नहीं करना चाहिए। बेटा एक कुल को तारता है। बेटियां दो कूलों को तारती है। कन्या भ्रूण हत्या को शास्त्रों में भी पाप बताया गया है। इसलिए कोई भी मानव कन्या भ्रूण हत्या नहीं होने दे। सरकार भी कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए प्रयास कर रही है। हमें भी इसे रोकने के प्रयास करने में सहभागी बनना चाहिए। कन्या भ्रूण हत्या नहीं रुकी तो बेटे के लिए बहु कहां से लाओगे।
यह बात श्री पंचमुखी बालाजी मंदिर कानाखेड़ा के तत्वाधान में आयोजित धर्म कथा में बाबा विश्वनाथ गुरुकुलम उजडखेडा उज्जैन के व्याकरणाचार्य रामानंद पुरी जी महाराज ने कही। वे पंचमुखी बालाजी के दशम स्थापना दिवस एवं मकर सक्रांति के पावन उपलक्ष्य में पंचमुखी बालाजी मंदिर भक्ति पांडाल में आयोजित मद्भागवत कथा एवं अखंड रामायण पाठ के आयोजन धर्म कथा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि रावण ने एक बार राजा जनक के खेत में भ्रुण कन्या भूमि में गाड दिया था वहां 1200 वर्ष तक बरसात नहीं हुई। फिर अनेक कन्या भ्रूण हत्या हो रही है तो इस देश का क्या होगा। हमें चिंतन करना चाहिए। एक बटुक की हत्या 100 गायों की हत्या के पाप के बराबर होती है। 100 वेद पाटी बटुक की हत्या एक ब्रह्मचारी की हत्या, 1 विवाहित महिला की हत्या के पाप के बराबर ,100 विवाहित महिला की हत्या का पाप एक 11 वर्ष की कन्या की हत्या के पाप के बराबर होता है सो कन्या की हत्या का पाप एक दो माह के कन्या भ्रुण हत्या के पाप के बराबर होता है।हम सभी को कन्या भ्रूण हत्या के पाप से बचना चाहिए । बेटा बेटी के जन्म में अंतर नहीं करना चाहिए तभी हमारा कल्याण होगा।और प्रकृति का संतुलन बना रहेगा। भाई भाई के आपस में प्रेम रहना चाहिए। प्रेम से अलग होंगे तो घर परिवार मंदिर कहलाएगा ।धन सुख का साधन नहीं। प्रेम सुख का साधन होता है।
प्रेम हमेशा परिवार में रहना चाहिए। संसार में लोग मरते समय व्यक्ति को गीता सुनाते हैं।यह आडंबर है। व्यक्ति को जीते जी गीता सुनाना चाहिए ।मरते समय गीता सुनाना आडम्बर है। श्री कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध भूमि में जीते जी गीता पाठ सुनाया था। मनुष्य जन्म 84 लाख योनी के बाद मिलता है। इस शरीर का सदुपयोग कर हमें आत्म कल्याण के लिए परमात्मा की भक्ति सेवा कार्य करना चाहिए तभी हमारे जीवन का कल्याण हो सकता है। यह दुनिया एक रंग मंच है सभी परिवारजन कलाकार है जो अपना-अपना अभिनय अलग-अलग क्षेत्र में निभा रहे हैं। श्री राम से प्रेरणा लेकर श्री राम के आर्दश जीवन चरित्र पर चलना चाहिए। जो सरलता व विनम्रता के साथ झुकता है वह ऊंचाई की ओर जाता है जो अकडता है वह नीचे गिर जाता है। इस अवसर पर कथा आयोजन में दान राशि देने वालों के नाम की घोषणा की गई।
महाराज ने भागवत कथा के मध्य कुम्भ स्नान, विश्वकर्मा, देशभक्त, राजा नाभी राजा आदि धार्मिक प्रसंग का वर्तमान परिपेक्ष में महत्व प्रतिपादित किया। श्री मद्भागवत कथा 8 से 14 जनवरी तक प्रतिदिन सुबह11 से 4बजे तक आयोजन किया जा रहा है। 14 जनवरी को पूर्णाहुति भंडारे के साथ कथा का विश्राम होगा। भागवत पोथी पूजन आरती के बाद प्रतिदिन प्रसाद वितरण किया जा रहा है।