नीमच नगरपालिका में अब तक सबसे भ्रष्ट सीएमओ रहे महेंद्र वशिष्ठ की आखिरकार विदाई हो गई। उन्हें न तो नीमच से ट्रांसफर किया गया और न ही प्रमोट किया गया बल्कि डिमोशन देते हुए डूडा में अटैच कर दिया गया है। यह सजा इसलिए दी गई कि वे भारतीय जनता पार्टी की छवि खराब कर रहे थे। भाजपा नेताओं को लड़ाकर जमकर मंजा सूत रहे थे। उन पर कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे हुए थे।
नीमच टुडे न्यूज | नीमच नगरपालिका के इतिहास में पहली बार महेंद्र वशिष्ठ ऐसे सीएमओ साबित हुए है जो खुलकर भ्रष्टाचार करते थे, फोन नहीं उठाते, दलालों से घिरे रहते और हर काम का फीस लेते। भाजपा शासित नगरपालिका के लिए वे कलंक बन गए थे। उनके भ्रष्टाचार के कारण जहां भाजपा की छवि खराब हो रही थी वहीं शहर में कोई विकास कार्य नहीं हो रहा था। न तो वार्डों में निरीक्षण पर जाते और न ही कोई शहर विकास प्रोजेक्ट बनाते। सिर्फ दलालों से घिरकर रहकर अपना हित साधते। कुछ समय पहले तो वे खुद को नगरपालिका का मालिक मान बैठे थे। न नपाध्यक्ष के आदेशो को तरहीज देते और न ही पार्षदों की समस्या पर ध्यान देते। सिर्फ ठेकेदारो से घिरे रहते। उनकी शिकायतें होने लगी तो वे राजनीति करने लगे। भाजपा नेताओं को लड़ाकर अपने हित साधने लगे। इससे शहर में भाजपा की छवि खराब हो रही थी।
सीएमओ महेंद्र वशिष्ठ की स्थिति यह हो गई थी कि वे नपाध्यक्ष के आदेशों की अवहेलना करते तो वहीं विधायक दिलीप सिंह परिहार के निर्देशों पर ध्यान नही देते। विधायक और नपाध्यक्ष के बीच विवाद कराने की स्थितियां पैदा कर रहे थे। दोनों के सांमजस्य को बिगाड़कर वे अपने स्वार्थों की पूर्ति करने में जुट गए थे। जब ज्यादा शिकायतें होने लगी तो नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजवयर्गीय तक बात पहुंची। उन्होंने शिकायतों पर गौर कर संयुक्त संचालक को कार्यवाही करने के आदेश दिए। नगरीय प्रशासन विभाग के संयुक्त संचालक सीएमओ महेंद्र वशिष्ठ को नीमच नगरपालिका से सीएमओ पद से हटाकर शहरी विकास अभिकरण में बतौर बाबू के पद पर नियुक्त कर दिया। इसे डिमोशन ही कहा जाएगा कि वे अधिकारी से बाबू बना दिए गए। यह इसलिए भी जरूरी था कि उन्होंने नीमच की भाजपा शासित नगरपालिका की छवि को खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
लोकायुक्त ने कार्यवाही की- सीएमओ बच निकला
नीमच में लोकायुक्त ने पार्षद रानी साबिर मसूदी को एक लाख की रिश्वत लेते पकड़ा। अंगूलियां सीएमओ महेंद्र वशिष्ठ पर उठी। पार्षद प्रतिनिधि साबिर मसूदी ने सीएमओ पर भ्रष्टाचार के खुलकर आरोप लगाए लेकिन तब कोई कार्यवाही नहीं हुई। सीएमओ महेंद्र वशिष्ठ ने नुकूल सर्राफा से अपनी जेब भर ली और मामले को दबा दिया।
बन गए थे विपक्ष के नेता, हर काम में अटकाते रोड़ा
महेंद्र वशिष्ठ जब तक नीमच नगरपालिका में रहे विपक्ष के नेता बनकर रहे। भाजपा शासित नपाध्यक्ष और भाजपा पार्षदों से ज्यादा वे कांग्रेस पार्षदों को तव्वाजो देते और शहर विकास के हर काम में रोड़े अटकाते। कांग्रेस पार्षद उन्हें अपना नेता मान कर कार्य करा लेते और भाजपा चक्कर लगाते रहते। ऐसे में सीएमओ भाजपा के लिए नीमच में मुसीबत बन गए थे।
फोन नहीं उठाना- दादागिरी झड़ना- रौब दिखाना
सीएमओ महेंद्र वशिष्ठ ने यह शगल पाल लिया था कि अब उन्हें नीमच से कोई नहीं हिला पाएगा। ऐसे में वे खुलकर राजनीति में उतर आए थे। फोन नहीं उठाते, दादागिरी कतरे और रौब झाड़ते नजर आते। नीमच के अधिकारी- कर्मचारियों तो परेशान थे ही साथ ही आम जनता भी सीएमओ के कारनामों से त्रस्त हो गई थी।
इन शिकायतों के चलते हुई कार्यवाही
- उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करना
- नियमों के विपरित कार्य करना
- निकाय के विकास कार्यों पर कार्यवाही नहीं देना
- पीएम आवास योजना के भवनों का आवंटन नहीं करना
- निकाय के करों की वसूली नहीं करना
- सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों का निराकरण नहीं करना
- केंद्र की योजनाओं पर घोर लापरवाही करना
- दिव्यांगजनों की भर्ती पर उदासीनता बरतना