नीमच टुडे न्यूज़ | अग्रणी साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक संस्था कृति ने अन्नपूर्णा सेवा न्यास के कार्यालय हॉल में सरकारी शिक्षा संस्थाओं में विद्यार्थियों की घटती संख्या एवं निजी स्कूलों के प्रति बढते आकर्षण विषय पर नीमच शहर के सरकारी व निजी शिक्षण संस्थाओं के प्राचार्य, प्राध्यापक व प्रबंधकों की एक परिचर्चा आयोजित की। इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए पी.एम.कॉलेज ऑफ एक्सिलेंस में वनस्पति शास्त्र की विभागाध्यक्ष डॉ.अर्चना पंचोली ने कहा कि सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। स्कूलों का इन्फ्रास्ट्रक्चर बहुत खराब है। कमजोर प्रशासनिक ढांचा, शिक्षकों की कमी भी निजी शिक्षण संस्थाओं की बढती संख्या में महत्वपूर्ण कारण है। निजी विद्यालय संचालक अजय भटनागर ने कहा कि निजी स्कूल में बच्चों को पढाना स्टेटस सिम्बल बन गया है। सारे देश में एक सी शिक्षा नीति होनी चाहिए। नई शिक्षा नीति में प्राथमिक स्तर पर मात्र भाषा में शिक्षण के लिये कहा गया है परन्तु यह नहीं हो रहा है। पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी सी.के.शर्मा ने कहा कि प्रभावशाली लोग गांवों में निजी स्कूल खोल लेते हैं, जिसके कारण सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या घट जाती है परन्तु कुछ समय बाद सरकार के तय मापदण्ड पूरे नहीं करने पर ये स्कूल भी बंद हो जाते हैं।
जाजू कन्या महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ.मीना हरित ने कहा कि निजी स्कूल शिक्षण संस्था से अधिक व्यावसायिक केन्द्र बन गये हैं। सरकारी स्कूल कॉलेज में पढाने वाले पर्याप्त शिक्षक नहीं होते। जो होते हैं उनमें से भी कई अपने दायित्व का ईमानदारी से निर्वाह नहीं करते।
सांदीपनि स्कूल के प्राचार्य किशोर जैन ने कहा कि जिन स्कूलों का प्रबंधन अच्छा है वह स्कूल अच्छे चल रहे हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के समर्पण पर भी बच्चों की संख्या पर असर पडता है। ज्ञानोदय विश्वविद्यालय की कुलगुरू डॉ.माधुरी चौरसिया ने कहा कि निजी स्कूलों में नर्सरी से बच्चा जुड जाता है जबकि सरकारी स्कूलों में 6 वर्ष की उम्र में प्रवेश मिलता है। डिजीटल शिक्षा, प्रबंधन, मॉनिटरिंग, सर्वांगीण विकास, ग्रामीण क्षेत्र से शहरों में पलायन भी सरकारी स्कूलों से छात्रों को निजी स्कूल कॉलेज की तरफ आकर्शित करते हैं। सरकारी कॉलेज में व्यवसायिक शिक्षा का अभाव भी छात्रों को निजी कॉलेज में जाने के लिये प्रोत्साहित करता है। पालक संघ के अध्यक्ष जगदीश शर्मा ने कहा कि सरकारी स्कूल में अच्छे भवन, शिक्षकों की कमी, सरकारी हस्तक्षेप, बडे कारण हैं। हमारे शहर में सीएम राइस स्कूल (सांदीपनि स्कूल) के भवन की जमीन तय नहीं होना इसका बडा उदाहरण है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश सहारिया ने कहा कि शिक्षा में राजनीतिक हस्तक्षेप, शिक्षकों को गैरशैक्षणिक कार्यों में लगाये रखना व शिक्षकों का दबाव में कार्य करना भी सरकारी स्कूलों में छात्रों के पलायन की बडी वजह है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा अच्छी है परन्तु जनता में विश्वास नहीं है। प्रधानाध्यापक डॉ.एन.के.डबकरा ने कहा कि शासन चाहे तो शिक्षा का स्तर सुधर सकता है। शिक्षा पर बजट कम रहता है, इसे बढाने की आवश्यकता है। व्यवसायिक शिक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए। क्रिएटिव माईण्ड स्कूल के डायरेक्टर विकास मदनानी ने कहा कि सरकारी स्कूलों में पाठ्यक्रम में नवीनता एवं रचनात्मकता नहीं है। निजी विद्यालय समयानुसार स्वयं को ढाल लेते है।डॉ.बीना चौधरी प्राध्यापक जाजू कॉलेज ने कहा कि शासकीय योजनाओं का लाभ निजी विद्यालयों व महाविद्यालयों को नहीं दिया जाए तो फर्क नजर आएगा। कृति अध्यक्ष डॉ.अक्षय पुरोहित ने कहा कि सरकारें मध्यान्ह भोजन, निःशुल्क पुस्तकें, छात्रवृत्तियां, सायकल वितरण तो कर रही हैं परन्तु शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दे रही है। जिम्मेदार शिक्षक, आधुनिक संसाधन, अनुशासिक वातावरण और बेहतर परिणाम सरकारी स्कूलों की प्राथमिकता होनी चाहिए। कार्यक्रम का संचालन ओमप्रकाश चौधरी ने किया। इस अवसर पर किशोर जेवरिया, प्रकाश जाजू, दर्शनसिंह गांधी, डॉ.पृथ्वीसिंह वर्मा, रघुनंदन पाराशर, बाबूलाल गौड, महेन्द्र त्रिवेदी, घनश्याम अम्ब, राजेश जायसवाल, नीरज पोरवाल, सत्येन्द्रसिंह राठौड, गणेश खण्डेलवाल, महेश शर्मा आदि कई प्रबुद्धजन उपस्थित थे। आभार कृति सचिव कमलेश जायसवाल ने व्यक्त किया।