नीमच टूडे न्यूज़ | BJP की यात्रा’ एक ढोंग, असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश देश आज भी पहलगाम आतंकी हमले के जख्मों से उबर नहीं पाया है। आतंकवादियों ने हमारे नागरिकों और सुरक्षाबलों को निशाना बनाया, और आज एक महीने बाद भी सभी आतंकवादी पकड़े नहीं गए हैं। लेकिन इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी ‘तिरंगा यात्रा’ के नाम पर उत्सव मना रही है — यह शहीदों और पीड़ितों का सीधा अपमान है।
यह सच है कि हमारी सशस्त्र सेनाओं ने अभूतपूर्व वीरता दिखाई और पाकिस्तान को भारी सैन्य नुकसान पहुंचाया। इसमें हमारे जवानों का पसीना और खून बहा है। लेकिन सवाल यह है कि जब हमारी सेना जीत रही थी, तब मोदी सरकार ने कूटनीतिक रूप से क्यों घुटने टेक दिए ?
अमेरिका के राष्ट्रपति खुद कह रहे हैं कि उन्होंने भारत को व्यापारिक नुकसानों की धमकी दी थी। क्या मोदी सरकार ने सिर्फ बिजनेस लॉबी और अपने उद्योगपति दोस्तों के लिए भारत की प्रतिष्ठा गिरा दी ? यह एक गंभीर राष्ट्रीय प्रश्न है।
कूटनीतिक रूप से हम पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए।
जब पाकिस्तान को चीन, तुर्की, अज़रबैजान और OIC देशों ने खुला समर्थन दिया, तब हमारे तथाकथित "मित्र" देश चुप रहे। कोई भी बड़ी शक्ति हमारे पक्ष में खुलकर नहीं आई। यह साबित करता है कि पिछले 10 वर्षों से जो "विश्वगुरु भारत" और "मोदी जी का वैश्विक प्रभाव" का ढोल पीटा जा रहा था, वह सिर्फ BJP और उसकी गोदी मीडिया की बनाई हुई एक झूठी कथा थी।
आज भी हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकी सरगना खुलेआम भारत के खिलाफ ज़हर उगल रहे हैं। पाकिस्तान की सेना जश्न मना रही है कि भारत ने युद्धविराम के लिए दबाव में झुकाव दिखाया। ऐसे में BJP क्या मना रही है ? ये "तिरंगा यात्रा" नहीं, जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ और शहीदों की शहादत का मज़ाक है।
सबसे शर्मनाक बात यह है कि BJP के मंत्री एक महिला सेना अधिकारी के धर्म के नाम पर खुलेआम घृणास्पद बयानबाज़ी कर रहे हैं, और पार्टी ने अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। उन्हें न हटाया गया, न निंदा की गई — यह भाजपा की असली सोच को उजागर करता है जहाँ महिला सम्मान केवल मंच की बात रह गया है। अब बिहार चुनाव नज़दीक हैं और BJP को डर है कि अगर बिहार हाथ से गया, तो INDIA गठबंधन के तहत नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और चंद्रबाबू नायडू प्रधानमंत्री बन सकते हैं, जिससे केंद्र सरकार संकट में आ जाएगी।
इसलिए यह सवाल उठता है —
क्या BJP ने राष्ट्रीय हितों से समझौता किया सिर्फ अपने व्यापारिक मित्रों के लिए ? या फिर राजनीतिक सत्ता बचाने के लिए ?
हम प्रधानमंत्री से मांग करते हैं कि वे संसद के विशेष सत्र में आकर देश को बताएं कि इस शर्मनाक युद्धविराम के पीछे क्या मजबूरी थी। यह समय जवाबदेही का है, प्रचार का नहीं।