नीमच टुडे न्यूज़। नेत्रदान वाकई महादान है। इसका महत्व तब और बढ़ जाता है, जब आपकी दान की हुई आंख किसी के जीवन में उजाला बिखेर देती है। आज 10 जून को विश्व नेत्रदान दिवस पर हम उन लोगों को याद कर रहे हैं जो मरणोपरांत अपनी आंखें दानकर अंधेरे में खोई एक नहीं दो-दो जिंदगियां रोशन कर गए। जिले में नेत्रदान करने वालों की संख्या में साल-दर-साल इजाफा हो रहा है। 13 साल में करीब 7264 लोगों ने नेत्रदान किए है।
शहर में नेत्रदान के प्रति बढ़ती जागरुकता को लेकर 14 जनवरी 1992 को गोमाबाई नेत्रालय की शुरुआत की गई थी। इसके बाद होने वाले नेत्रदान को गोमाबाई में स्थित राष्ट्रीय स्तर के आई बैंक में सुरक्षित रखा जाता है। गोमाबाई नेत्रालय के सीईओ डी. सुब्रमण्यम बताते हैं, नीमच जिले में 13 सालों में अब तक 2778 कार्नियां का निःशुल्क प्रत्यारोपण किया गया है। यही वजह है कि अन्य शहरों के मुकाबले नीमच में नेत्रदान करने वालों की संख्या बढ़ी है।
नीमच में 1975 से हुई नेत्रदान की शुरूआत-
नीमच में साल 1975 से नेत्रदान की शुरूआत हुई थी। जिसमें गर्ग परिवार के एक सदस्य ने अपनी मृत्यु के उपरांत मुंबई में उनका नेत्रदान कराया था। इसके बाद अग्रवाल क्लासेस मुंबई के स्व. जीडी अग्रवाल द्वारा 1992 में यहां गोमाबाई नेत्रालय की स्थापना की, जिसके बाद से यहां नेत्रदान में प्राप्त कार्निया यहीं पर प्रत्यारोपित किया जा रहा है।
परिवार की सहमति से भी दे सकते हैं आंख-
जरूरी नहीं है कि नेत्रदान के लिए पूर्व से ही फार्म भरें, बल्कि आकस्मिक मौत, एक्सीडेंट, हार्टअटैक अन्य किसी कारणों से मौत होने के बाद मृतक के परिजन की सहमति पर चार घंटों के भीतर नेत्रदान किया जा सकता है।
आज होगा निःशुल्क नेत्र परीक्षण शिविर-
विश्व नेत्रदान दिवस के मौके पर आज गोमाबाई नेत्रालय में निःशुल्क नेत्र परीक्षण शिविर लगातार इन दिन को मनाया जाएगा। जिसमें सुबह 9 से 5 बजे मरीजों की जांच के साथ विशेषज्ञों द्वारा उचित परामर्श दिया जाएगा। इसके अलावा गरीबी रेखा में आने वाले मरीजों को कुछ सर्जरी में विशेष छूट भी दी जा रही है।
आमजन को जागरूक करने की जाती कई गतिविधियां-
गोमाबाई नेत्रालय द्वारा नेत्रदान के प्रति आमजन में जागरूकता बढाने के लिए नेत्रदान पखवाड़ा के साथ कई गतिविधियां भी आयोजित करता है। जिसमें सेमीनार, पेम्प्लेट वितरण, शिविर, लाउडस्पीकर के माध्यम से निरंतर प्रचार-प्रसार भी किया जाता है। ताकि ज्यादा से लोग नेत्रदान के महत्व को समझे और मरने के बाद उसे दान करके दृष्टिहीनों लोगों के जीवन में उजाला कर सके।
गत 4 सालों में मिले नेत्रदान की स्थिति-
साल प्राप्त नेत्रदान
2021-22 103
2022-23 320
2023-24 432
2024-25 415
(आंकड़े गोमाबाई नेत्रालय के मुताबिक 1 अप्रैल से 31 मार्च तक)
जानिए, इन दो केस के जरिए जिन्हें अंधकार से मिली रोशनी-
1. शिवपुरी निवासी देशराज डांगी 13 दिसंबर 2019 को गोमाबाई नेत्रालय में दिखाने के लिए आए थे। जिन्हें दोनों आंखों में संक्रमण के कारण दिखाई नहीं देता था। जिनकी दोनों आंखों का परीक्षण कर निःशुल्क कार्निया प्रत्यारोपण किया गया जिसके बाद से उसे दिखाई देने लगा है। उक्त मरीज नियमित फॉलोअप पर आ रहा है और बहुत अधिक खुश है।
2. जिले के मनासा निवासी मोनिका को भी किसी कारण से दोनों आंखों से नहीं दिखाई देता था। मरीज का उपचार 2012 से चल रहा था। इस बीच 25 फरवरी 2023 को सर्जरी की गई। जिसके बाद उन्हें सीधी आंख का कार्निया प्रत्यारोपण किया गया।