नीमच टुडे न्यूज़ | लोकतंत्र के नाम पर जिनको विकास का जिम्मा दिया तीन साल में ऐसी कोई जनहित में जनता को उपलब्धि नहीं दे पाए। सरपंच प्रतिनिधि और एक ओर बड़े नेता का प्रतिनिधि हैं जो अहंकार में डूबा हुआ है जो कभी किसी नागरिक से सीधे मुंह बात तक नहीं करता। पदों पर रहकर भी अभी भी चुनावी रंजिश पाले हुए है। तीन साल में दो - चार सीमेंट कांक्रीट मार्ग क्या बनाएं ऐसा ढिंढोरा पीटा की मानें पूरे गांव में हीरा जवारात से सड़क बना दी हो। पंचायत में बैठे अन्य जनप्रतिनिधि भी हिटलर शाही तंत्र बन कर रह गए। पंचायत की बैठक में कोई जनहित की बात उठाने की हिमाकत भी नहीं जुटा पा रहे हैं। ग्राम पंचायत को टाइम पास बना कर रख दिया और अपना समय व्यतीत करके जनप्रतिनिधि ग्राम पंचायत से जुड़े लोग स्वयं बादशाह बन गए हैं। कुछ पंचों ने दबी जुबान से कहा कि सरपंच तो ठीक है हमारी बात तो सुनते हैं पर क्या करें, उनके प्रतिनिधि बड़े ही अकड़ू है हमारी आवाज को दबा कर रख देता है।
इस क्षेत्र में टाइम पास करने का शायद ही कोई दूसरा उदाहरण मिले। इस ग्राम पंचायत को गठित हुए तीन साल का समय बीत चुका है।पर अपने तीन वर्ष के कार्यकाल में ऐसी कोई जनहित में बड़ी उपलब्धि साबित नहीं कर पाए। गांव में ऐसी कई कालोनियां , गली, मौहल्ले ऐसे हैं जहां एक साधारण कार्य नालियां, गटर तथा सीमेंट कांक्रीट या फर्सीकरण वर्षों से नहीं है घरों में बने शोचालयों से बहने वाला गंदा और बारिश का पानी आम रास्ते के बीच बहता है जिससे राहगीरों को आवागमन में भारी असुविधा से गुजरना पड़ता है। मस्जिद के पीछे कालोनी में नौ फीट चौड़ी सीमेंट कांक्रीट सड़क पर इतना कचरा जमा पड़ा है जो सफाई के अभाव में दो फीट चौड़ी पगडंडी बनकर रह गई है। जहां तक की अधिकतर स्टेट लाइट खंबों पर बल्ब, वेपरलेंप तक नहीं है कई गली मौहल्ले तो शाम ढलते ही गुप अंधेरे के आगोश में समा जाते है। जिससे राहगीरों को अंधेरे में मोबाइल की बेट्री से अपने गंतव्य तक पहुंचना पड रहा है। इससे सुंदर सपना लोकतंत्र का क्या हो सकता है। बरसात के कारण जान लेवा जहरीले जानवर इधर-उधर रेंगते रहते हैं लोगों में भय बना हुआ है।
नेताओं-कर्मचारियों का गिरोह बन गया है। सरपंच और प्रतिनिधि तथा कुछ पंच जैसे नाम तो मीडिया में तैर रहे हैं। अधिकारी कृपालु होते हैं जनपद हो या जिला पंचायत आंखें मूंदे बैठे है । इनका पंचायत पर कोई अंकुश नहीं है। बारिश में कई आम रास्ते ऐसे हैं जिनमें आवागमन ही अवरुद्ध हो जाता है। गांव का भोला भाला व्यक्ति किसी छोटे मोटे प्रमाण पत्र के लिए हस्ताक्षर के लिए जाता है तो आवेदक से आवेदन लेकर एक डिब्बे में फेंक दिया जाता है और आंखें लाल पीली करके जवाब देते दो दिन बाद ले जाना ,सभी को एक ही जवाब दिया जाता है। पंचायत में बैठे जनप्रतिनिधि स्वयं अपने मूल सिद्धांतों से भटक गए है। इनसे पूर्व में भी जो भी थे आज उसको भी कोई नहीं पूछता तो ये कौन-से खेत की मूली हैं। समय आया और मिला है तो कुछ अच्छा करके दिखाओ तो पीढ़ी दर पीढ़ी याद करेंगी। नहीं तो बारिश के जोर से निकले पंख वाले मकोड़े कुछ नहीं बाद में खुद ही का अपना अस्तित्व समाप्त हो जाता हैं। बरसात का समय है कई गली मौहल्लों में साफ-सफाई के अभाव में कचरे के ढेर पड़े हुए हैं गंदगी बदबू मार रही है जिससे रहवासियों का जीना मुश्किल हो गया है।
गांव में अभी भी कई आम रास्ते ऐसे हैं जिनमें बड़े बड़े गड्ढे पड़े हुए हैं गड्ढों में बरसात का पानी, किचड़ भरा हुआ है जिससे राहगीरों को आवागमन में भारी असुविधा हो रही है। वार्ड दो में पुराने हायर सेकंडरी स्कूल के पास स्थित शासकीय उचित मूल्य की दुकान पर मिलने वाली राशन सामग्री लेने वाले हितग्राहियों की भीड़ लगी रहती है और इसी के सामने बने मार्ग में पानी किचड़ भरा पड़ा रहता है। हल्की बारिश होते ही पूरे मार्ग जगह जगह पानी भर जाने से पोकरण बने हुए हैं।
इनका कहना-
दशरथ माली वार्डवासी चीताखेड़ा : वार्ड दो में पंचायत को विगत तीन वर्षों से इस मार्ग को लेकर समस्या के समाधान हेतु अवगत कराता आ रहा हूं। लेकिन सरपंच ने कभी ध्यान देना उचित नहीं समझा। कालोनी निवासी बहुत परेशान हैं किचड़ से। पंचायत को चाहिए कि जो उनका दायित्व है ईमानदारी से निभाएं और जनहित में काम करें।
सचिव नवीन पाटीदार ग्राम पंचायत चीताखेड़ा : गांव में हमने कुछ से सफाई अभियान शुरू किया हुआ है। स्टेट लाइट पर बल्ब बंद है उनका कार्य भी चल रहा है जहां कहीं रह गये है हम शीघ्र ही सुधार करवा लेंगे।