नीमच टुडे न्यूज़ | रतलाम जिले के करिया गांव में 12 सितंबर को मुख्यमंत्री डॉ. शिवराज सिंह यादव किसानों से मिलने पहुंचे थे। यहां उन्होंने बारिश से खराब हुई फसलों का जायजा लिया और खेतों में जाकर सोयाबीन की फली खुद तोड़ी। किसानों से बातचीत करते हुए उन्होंने उन्हें मदद का भरोसा दिया और कलेक्टर को जिले का सर्वे करने के निर्देश भी दिए। हालांकि, किसानों से मिलने के दौरान अचानक मुख्यमंत्री डॉ. यादव एसपी अमित कुमार पर नाराज नजर आए। वीडियो में सीएम कह रहे हैं, "मतलब क्या रह गया एसपी साहब, या फिर मैं ही कर लूँ, आप से नहीं बन रहा तो छोड़ो, जिसने बोला है उसे हटाओ।" सीएम की यह नाराजगी उस वक्त सामने आई जब भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस प्रशासन असमर्थ दिखा और स्थानीय मीडिया के लोग भी उनके आसपास जमा हो गए, जिन्हें पुलिस बार-बार हटाने की कोशिश कर रही थी।
इस स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री ने एसपी पर कड़ी नाराजगी जताई। इस दौरान कलेक्टर राजेश बाथम भी आगे आए और भीड़ को संभालने का प्रयास किया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे अपने ‘X’ हैंडल पर पोस्ट करते हुए मुख्यमंत्री पर तंज कसा। उन्होंने लिखा कि मुख्यमंत्री फोटो, वीडियो, रील्स और मीडिया हेडलाइन के लिए गंभीरता से काम कर रहे हैं, लेकिन किसान की मदद के लिए सर्वे, खाद, बीज, बीमा, मुआवजा और सही समय पर फैसले जरूरी हैं। पटवारी ने कहा कि यह केवल दिखावे का कार्य नहीं होना चाहिए, बल्कि वास्तविक काम की आवश्यकता है।

इस घटना के बाद राजनीति भी गरमाई है। कांग्रेस नेता मुख्यमंत्री के किसानों के बीच जाने को केवल प्रचार तक सीमित बता रहे हैं, जबकि भाजपा समर्थक कांग्रेस और जीतू पटवारी पर निशाना साध रहे हैं। दोनों पक्ष सोशल मीडिया पर अपने-अपने मत रख रहे हैं। इस पूरे मामले से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन और सरकार को किसानों की समस्याओं के समाधान में वास्तविकता और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, न कि केवल दिखावे और प्रचार में उलझे रहने की। रतलाम घटना ने इस मुद्दे को फिर से तूल दिया है और आगामी दिनों में इसका राजनीतिक और सामाजिक असर देखने को मिल सकता है।
