धूलभरी तेज अंधड़ ने मचाया कोहराम , कई पेड़ हो गये जमीदोज तो कई मकानों के चद्दर शेड उड़े- भगत मागरिया | @NeemuchToday

नीमच टुडे न्यूज़। विगत सप्ताह भर से पश्चिमी राजस्थान की ओर से अंचल में रिकॉर्ड तोड़ प्रचण्ड गर्मी का दौर बदस्तूर जारी है, गर्म लूं के थपेड़ों से लोगों को झुलसा रही है, तेज तपन से आमजन के साथ पूरा जन-जीवन प्रभावित हो गया है। दिन भर तीखी धूप ने लोगों को घरों में रहने को मजबूर कर दिया है। शुक्रवार को अल सुबह से दोपहर 3 बजे तक आसमान से सूर्य देव ने अपना रौद्र रूप दिखाया आग के अंगारे बरसते रहे। वहीं दोपहर बाद मौसम ने करवट बदली और आसमान में बादल छा गए और देखते ही देखते तेज धूलभरी अंधड़ चली जिससे चारों ओर धूल छा गई हवा इतनी तेज थी कि सैकड़ों पेड़ जमीदोज हो गये।  मकानों के टीन शेड (पतरे) तेज अंधड़ से  पतंग की तरह उड़कर दूर जा गिरे। आधे घंटे तक चली बारिश ने फिलहाल भीषण गर्मी से कुछ राहत मिली। 

असाढ़ लगते ही के दूसरे ही दिन शुक्रवार को वहीं दोपहर तक प्रचंड गर्मी के बीच लोग गर्मी से परेशान हो गए और पसीने से हर किसी को तर-बतर  होते हुए देखा गया। लू के थपेडों ने आम आदमी को घरों से बाहर निकलने नहीं दिया ।जिससे मुख्य बाजार एवं व्यस्ततम मार्गों पर भी कर्फ्यू नुमा सन्नाटा दिखाई दिया। शाम होते ही तेज धुल भरी अंधड़ के साथ तेज गर्जना करते हुए अषाढ़ लगते ही दुसरे ही दिन बारिश ने श्री गणेश कर दिया है जिससे किसानों में हर्ष हैं।भीषण गर्मी से आमजन बेहाल हो गए और सड़कों व बाजार में दोपहर को लू के थपेडों ने सन्नाटा पसरा दिया। शुक्रवार को सुबह से ही तपिश का अहसास करा दिया था। हालांकि दोपहर बाद आसमान में हल्के बादलों ने डेरा जमा दिया जिससे बावजूद भी उमस भरी गर्मी में हरकोई पसीने से तरबतर दिखाई दिया।

पसीने और गर्मी के बीच दोपहर  2 बजे बाद अचानक से मौसम बदला और तेज  धूलभरी अंधड़ के दौरे का सिलसिला शुरू हो गया, धूलभरी अंधड़ की गति भी इतनी तेज थी कि शांतीलाल और कैलाश चंद्र गेहलोत के मकानों सहित दर्जनों मकानों की छतों के चद्दर शेड उड़ कर पड़ोसियों के मकानों पर जा गिरे तो कहीं पेड़ जड़ मुल से उखड़ गए तो कई पेड़ों की शाखाएं धराशाई हो गई  जिससे रास्ते जाम हो गये तो किसी के मकानों की पक्की दिवाले जमिदोज हो गई। तेज धूलभरी अंधड़ के कुछ समय बाद तेज बारिश भी शुरू हो गई। इसके कारण उमस की गर्मी और अधिक बढ़ गई और हवा चलने के साथ बिजली भी घंटों गुल  हो रही।

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