विधि पूर्वक मंदिर प्रवेश के बाद ही पूजा अर्चना सही फल मिलता है-साध्वी सौम्य दर्शना श्री जी, महावीर जिनालय में चातुर्मास पर्व श्रृंखला प्रवचन में उमड़े समाजजन ,@NeemuchToday

। नीमच टुडे न्यूज़ । नीमच 6सितंबर
मंदिर में परमात्मा की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए 4नियमों का पालन आवश्यक बताया गया है। इसमें   हाथ जोड़कर ध्वजा दर्शन, पवित्र भाव के साथ एकाग्रता, सचित का त्याग और अचित का अत्याग, कंधे पर दुपट्टा सर पर ढका हुआ हो सही विधि पूर्वक मंदिर प्रवेश पर ही पूजा का विधिवत  सही फल मिलता है।मंदिर में प्रवेश के लिए पूजन सामग्री के अलावा कोई भी वस्तु नहीं ले जाना चाहिए।

नहीं तो वह देव द्रव्य हो जाती है फिर वह संसार के किसी भी उपयोग के योग्य नहीं रहती है। स्वर्ण आभूषण और चावल अचित की श्रेणी में आते हैं। मुकुट को छोड़कर सभी आभूषण पहन सकते हैं। आरती सर पर पगड़ी लगाकर ही करना चाहिए। पुजन में मुकुट और माला पहन सकते है। यह बात  साध्वी सौम्य दर्शना श्री जी महाराज साहब ने कहीं। वे श्री जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय ट्रस्ट एवं चातुर्मास समिति विकास नगर के तत्वाधान में साध्वी सौम्य प्रभा श्री जी महाराज साहब आदि ठाणा 4के चातुर्मास में आयोजित धर्म सभा में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि पूजा करते समय देवता की तरह पुजा करते हैं इसीलिए मुकुट माला पहन सकते हैं साध्वी अक्षय दर्शना श्री जी महाराज साहब ने कहा कि माता त्रिशला ने हाथी पर बैठने का सपना देखा तो महावीर जैसी महान संतान को जन्म दिया था ।रावण की माता जी ने तलवार को दर्पण के रूप में देखा तो रावण जैसे अहंकारी पुत्र ने जन्म लिया था। पाप कर्मों का फल भुगतना ही पड़ता है चाहे वह श्रेणीक   राजा  ही क्यों ना हो, 55 वर्ष की आयु में पुत्र को व्यापार की जिम्मेदारी सौंप देना चाहिए। देह से आसक्ती के त्याग बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है। सोते समय संथारा  पोरसी करना चाहिए कि मैं अकेला हूं ना कोई मेरा है ना मैं किसी  पद पर हूं मैं एक आत्मा हूं तो हमें मोक्ष मार्ग मिल सकता है। इस अवसर पर  इस अवसर पर विभिन्न तपस्वियों की अनुमोदना की गई।चातुर्मास धर्म सभा में महावीर जिनालय ट्रस्ट अध्यक्ष राकेश जैन आंचलिया ,चातुर्मास समिति संयोजक राजमल छाजेड़, सचिव राजेंद्र बंबोरिया , राहुल जैन सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।

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