नीमच टुडे न्यूज़ । महावीर जिनालय, विकास नगर में आयोजित चातुर्मासिक धर्मसभा में साध्वी सौम्य प्रभा श्री जी महाराज साहब ने अपने प्रवचन में कहा कि आचार्य के मार्गदर्शन के बिना मोक्ष मार्ग संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि जैसे नाविक नदी में नाव को पार लगाता है, वैसे ही आचार्य साधकों को मोक्ष की दिशा में कुशलता से मार्गदर्शन देते हैं। आचार्य धर्मशास्त्रों के ज्ञाता होते हैं और वे स्वयं ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चरित्राचार, तपाचार व वीर्याचार का पालन करते हैं तथा संघ को भी इसका पालन कराते हैं।साध्वी जी ने बताया कि सिद्ध चक्र की आराधना एक ही सफेद आसन पर शांत मन से करनी चाहिए। वाणी का प्रयोग श्वास स्वर के अनुसार करना चाहिए, जिससे आत्मा का कल्याण संभव हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि सुख-दुख का कारण हमारी इच्छाएं नहीं बल्कि हमारे कर्म होते हैं। आचार्य हेमचंद्र जी महाराज द्वारा देवी बली प्रथा के उन्मूलन का उदाहरण देकर उन्होंने बताया कि आचार्य समाज सुधार में भी मार्गदर्शक होते हैं।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शाश्वती नवपद ओलीजी तप में भाग लिया, पंचखान संकल्प लिया और तपस्वियों की अनुमोदना की। धर्मसभा में साध्वी सौम्य दर्शना, अक्षय दर्शना, परम दर्शना आदि का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। आयोजन में ट्रस्ट अध्यक्ष राकेश जैन आंचलिया, संयोजक राजमल छाजेड़, सचिव राजेंद्र बंबोरिया, राहुल जैन सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे। "हर्ष हर्ष जय जय" के जयघोष से वातावरण भक्तिमय बन गया।
